Friday, February 15, 2013

V24-33-1987 Hatyaron Ka Dweep

Hindi Indrajaal Comic No. V24N33 Published in 1987 by Times of India Publication, a unit of Bennett & Coleman Co. Ltd.
Co-incidently, the original story "Maut Ka Saudagar Part 1 & 2" were also posted by me in the month of February 2009. At that time I was not particular about the quality of upload, hence no enhancement done then.
Story is long and if you compare it with the original story, you'll see that it actually requires 2 parts. Though the publisher has done a fine job, concluding the story in one single volume, but former was better.
Download Comic :- http://www.mediafire.com/?ku4eb62e77fus4b
A VERY IMPORTANT TOPIC, OMITTED FOR NO REASON BY THE INDIAN PUBLISHER
Kind Courtsey : Vishal Bhai

...More elaborated View of Miss Tara (Tagama). Photo Cortsey Vishal Bhai





10 comments:

Anonymous said...

Thanks so much, Raj Bhai,

regards,
Raj Joshi

Unknown said...

You are most welcome Raj Bhai

BABABU said...

what a dedication to revive lost world of these memorable comics
God bless you Mr.Raj.Fantastic blog, keep going

Unknown said...

Thank you General, I'll try to keep up with the community's expectations.

Nagesh said...

mast bhai majza aa gaya

Unknown said...

Thank you Nagesh Bhai

VISHAL said...

दैनिक स्ट्रिप नंबर 127 शीर्षक " T " का यह इन्द्रजालिए अंक वेताल के आतंक विरोधी अभियानों की जोरदार कथाओं में से निसंदेह एक !लेकिन TOI नें इस पु:न प्रकाशित अंक में बहुत ज्यादा कांट छांट करके और जबरन इसे 29 पन्नों में समेटने की जद्दोजहद में इस अविस्मार्निये कथा के साथ नाइंसाफ़ी की ! यहाँ तक की कहानी का अंत भी नहीं दर्शाया , इस कहानी को बस वहीँ रोक दिया जहाँ वेताल "T" ग्रुप का अड्डा विस्फोट से उड़ा देता है , और ग्रुप के सरगना यानि की 'SKUL' उर्फ़ खोपड़ी और उसके साथी जो तट पर खड़े देख रहे है , का क्या हुआ , इसको दिखलाना TOI नें जरुरी नहीं समझा ! जब इस कहानी को 1976 में दो भागों में प्रकाशित किया गया था , तो कांट छांट बहुत मामूली सी थी , तभी इसके पहले दो भाग इसके पु:न प्रकाशित अंक से कई गुना ज्यादा बेहतर है !
लेकिन राज भाई , मैं आपका और समस्त इंद्रजाल के पाठकों का ध्यान इस हैरतंगेज एक्शन दृश्यों से लबरेज इस कथा के एक रूमानी पहलु पर ले जाना चाहता हूँ , चाहे कुछ पल का सही , लेकिन बहुत असरकारक है , जो इंद्रजाल के पाठकों के लिए अनकहा , अनसुना एवं अनदेखा है ! इस पहलु को न तो 1976 में दिखलाया गया और न ही 1987 में ! वो यह है :

जब राष्ट्रपति लुयागा वेताल से मिलने उसके घर जातें हैं तो खाने पर उसकी मुलाकात सांवली सलोनी मिस तागामा से होती है , जिसका उपनाम तारा है , इंद्रजाल के पु:न प्रकाशित अंक में लुयागा सिर्फ यह ही कहते हैं की "तारा , तुम बहुत बढ़िया खाना बनाती हो " लेकिन असल माजरा स्ट्रिप को पडने पर ही समझ आता है की यह पहली नजर वाला प्यार है :)

लुयागा मिस तागामा से सबसे पहले उसका उपनाम पूछते हैं , तो मिस तागामा जवाब देती है "तारा", लेकिन जवाब देते वकत उसकी आँखों का कोण लुयागा की आँखों को भेदता चला जाता है , फिर लुयागा तारा की खूबसूरती की तारीफ करते है " ( ना की खाने की जैसा की इंद्रजाल के इस पु:न प्रकाशित अंक में दिखलाया गया है )
लुयागा के जाने के बाद , जब रेक्स तारा से लुयागा के बारे में पूछता है तो देखिये यह Black Beauty शरमाते हुए क्या कहती है ?
जरा इन दो चित्रों को डाउनलोड कीजिये और उसके बाद सारा माजरा आप सब को समझ आ जायेगा ! पता नहीं क्यों टाइम्स ऑफ़ इंडिया वालों नें इन हसीन पलों पर क्यों कैंची चलायी ?
राज भाई आपकी खिदमत में पेश है मिस तगामा तारा के दिलकश दृश्य , जरा डाउनलोड तो कीजिये

http://www.mediafire.com/?j3zk49b84c288km

Unknown said...

My Goodness Vishal Bhai, your observation capability is phenomenal, I couldn't help but add these pages in this post. With your kind permission of course.

VISHAL said...

राज भाई , आपने इस कहानी को शुक्रवार को पोस्ट किया और संयोग देखिये इस कहानी में जब लुयागा वेताल से मिलने का समय मांगता है तो वेताल भी "शुक्रवार" का दिन ही निश्चित करता है , क्या इत्तेफाक है ! :)

Unknown said...

Vishal bhai, Indian Govt. ko aapko C.B.I. director banana chahiye,kamaal ka observation hai. Mind blowing.