Saturday, July 31, 2010

391-1981 Khooni Sadak-2


Hindi Indrajaal Comic No. 391 Published in 1981 by Times of India Publication, a unit of Bennett & Coleman Co. Ltd.

Download Comic :- http://www.mediafire.com/?d65wq7wxn4qw5i0

4 comments:

VISHAL said...

जिस तन्मयता , निष्ठता और एकाग्रता के साथ आप हिंदी इंद्रजाल को अमरत्व का कवच पहना रहे हो , हर कोई अचंभित और हतप्रभ है , राज वर्धन नाम के इस "बवंडर" की चपेट में आकर पहले ही TPH और PBC नामक हमारे दो अति उर्जावान सुरमा 'हांफने' लगे हैं (डाउनलोड करते करते !!!) , इस भीषण वेग की तीव्रता का असर शेष योधाओं पर क्या पड़ा , फ़िलहाल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पा रही है , 'पेन ड्राइव' तक थकावट महसूस करने लगी है , आज 'खुनी सड़क' पर चलने की कोशिश में 'पेन ड्राइव' ने फिर से हाथ खड़े किये, फोर्मेट किया , तब जाकर कहीं चलने लायक किया खुनी सड़क पर ,

लेकिन यह एक ऐसा 'बवंडर' है , जिसे रोकने के लिए कोई भी प्रार्थना नहीं करेगा, बल्कि हर कोई इस की चपेट में आना चाहेगा , इसी की असरदार चपेट में आकर "प्रेत" नामक गाड़ी जो चलते चलते पटड़ी से उतर गयी थी वो भी वापस अपने ट्रैक पर आ गयी है, अब धीरे धीरे चलेगी भी , इस के लिए मैं इस "मनोहारी बवंडर" के वेग का और "TPH " की 'नेक सलाह' का आभारी हूँ की आज मैं फिर से शुरुआत कर रहा हूँ आपके दिलकश ब्लॉग पर अपनी छोटी सी प्रतिकिर्या व्यक्त कर के !

प्रेत

Unknown said...

Dear Vishal, I was missing you a lot and I am so very happy to have your Super-Motivating Comment. Till now I have been able to salvage around 367 IJCs. So I shall be posting regularly till my stock lasts.

वेताल शिखर said...

अपने ’प्रेत’ की वापसी एक सुखद खबर है. इनकी ऊर्जा से ओत-प्रोत टिप्पणियाँ ब्लॉगर के लिये जबरदस्त मोटिवेशन लेकर आती हैं. व्यक्तिगत रूप से मैं इनके पुनः आगमन से अत्यन्त प्रसन्न हूं.

और ’राज’ की गति तो मारक है ही, साथ ही कथाएं भी चुनिन्दा पोस्ट कर रहे हैं. शानदार. जमाए रहो दोस्तों.

Rafiq Raja said...

Thanks.